कविता क्या है इस सवाल की पड़ताल करते हुए आचार्य शुक्ल ने कहा था कि कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है और इसके जरिए हम संसार के सुख, दुःख, आनन्द और क्लेश को यथार्थ रूप से अनुभव कर सकते हैं. इस लिहाज से कविता वही हुई जो जो पाठक को हंसाये, रूलाए या सोचने पर मजबूर करे? जो पाठक को बांधे और अपने साथ उस डगर पर ले जाए जहां कवि ने उसकी मंजिल तय की है? अगर यही कविता है तो विनोद स्वामी जोरदार कवि हैं, जो शानदार कविताएं गढते हैं. उनकी राजस्थानी कविताओं का संग्रह ‘प्रीत कमेरी’ मौजूदा दौर की धक्कमपेल में राहत की सांस देता है.
मैं
पीढियों से जानता हूं ये बात
कि चिडि़यों ने
हमारे भरे हुए खेत उजाड़े हैं.
फिर भी
चिडियों के साथ
पीढियों से
एक ही घर में रहता हूं मैं.
विनोद की कविताओं में मां है, बाबा हैं, गांव है, जेठ की दुपहरी है और भींतों की छांव है. विनोद कोई बड़ी, भारी कविता नहीं कहते, वे बस छोटी छोटी कविताओं में बड़ी बड़ी बातें कर जाते हैं. ग्रामीण जीवन, जीवन के अनुभव से सीखे ज्ञान की यह सहज खासियत है, जो उनकी कविताओं को विशेष बना देती है डॉ. सत्यनारायण ने लिखा है कि विनोद की कविताएं ‘चाकू समय’ की कविताएं हैं, जबकि हम माटी की गंध और उसके संघर्ष से कटे जा रहे हैं या कि हमें उससे दूर धकेला जा रहा है. इन कविताओं को पढ़ते हुए पाठक ऐसी सौंधी गंध में डूब जाता है जहां वह रेत, खेत और धरती में रूळते-पळते अहसासों को महसूस कर सकता है.
छत
छत तो छत है
ऊपर चढ़ो तो नीचे गिरने का डर
और
नीचे बैठो तो
ऊपर गिरने का भय.
भाषा को बचाने की तमाम आंदोलनों के बीच इस बात पर चर्चा कम ही होती है कोई भाषा तभी मरती है जब हम उसे बोलना छोड़ देते. जब हम उसी भाषा में लिखते नहीं हैं. भाषा को बचाये रखने की कवायद यहीं से शुरू होती है कि अपनी मां भाषा में लिखें- रचें. राजस्थान के साहित्य ग्राम परलीका के विनोद का यह कविता संग्रह इस लिहाज से भी उल्लेखनीय है.
दादी
सुई में
धागा डालती दादी को
समूचा घर ही
फटा हुआ दिखता है.
[प्रीत कमेरी जयपुर के बोधि प्रकाशन से आई है. कविताओं का राजस्थानी से भावानुवाद किया गया है.]
ज़ोरदार कवि विनोद स्वामी की उम्दा कविताएं और आप ने भावानुवाद भी ज़ोरदार किया है…जी
बहुत सुन्दर कवितायेँ ! !
“दादी
सुई में
धागा डालती दादी को
समूचा घर ही
फटा हुआ दिखता है.”
वा्कई में विनोद स्वामी जी सीधे सरल शब्दों में बहुत गहरी बात कह देते हैं।उनकी शैली पाठक को बाँधे रखती है।
kamaal , bemishaal.. pathko ke liye sukh swaroop ..
zordaar! jai ho, vinod g!
बिलकुल बहुत सुन्दर कवितायेँ हैं …….यकायक सच को सामने ला देती हैं
comrade vinod swami ko lal salam