हमारी चिड़ी, हमारी गौरेया
श्रीगंगानगर के एक मित्र बता रहे थे कि मोबाइल टावरों के कारण चिडि़यों का आना भी कम हो गया है. टावरों की रेंज उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं. फसलों में डाले जाने वाले कीटनाशक भी इनके जीवन के दुश्मन हैं. इंटरनेशनल यूनियन फार द कंजर्वेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) की ‘लाल सूची’ में इस चिड़ी या गौरेया का भी नाम है और इसे उन जीव जंतुओं की श्रेणी में रखा गया है जिनका अस्तित्व खतरे में है पढ़ना जारी रखें हमारी चिड़ी, हमारी गौरेया